Tatpurush Samas तत्पुरुष समास – परिभाषा, तत्पुरुष समास के प्रकार, 100+ उदाहरण, सूत्र, तथा अर्थ इस पृष्ठ में दिए गए हैं। सम्पूर्ण तत्पुरुष समास देखिये यहाँ। जैसे की हमने पिछले में समास में अव्ययीभाव समास के बाद अब तत्पुरुष समास है।
पिछले अध्याय
- समास – समास के प्रकार और उदाहरण
- अव्ययीभाव समास – उदाहरण और अर्थ
- बहुव्रीहि समास – प्रकार, उदाहरण
- द्वन्द समास, परिभाषा, प्रकार, उदाहरण
- तत्पुरुष समास के कितने भेद हैं?
- तत्पुरुष समास का 50 उदाहरण
- तत्पुरुष समास के भेद।
- तत्पुरुष समास को कैसे पहचाने?
तत्पुरुष समास – परिभाषा, तत्पुरुष समास के प्रकार, 50 उदाहरण, सूत्र, अर्थ
तत्पुरुष समास किसे कहते हैं?
वह समास, जिसका उत्तरपद या अंतिम पद प्रधान हो | अर्थात प्रथम पद गौण हो और उत्तरपद की प्रधानता हो |
जैसे – राजकुमार सख्त बीमार था | इस वाक्य में समस्तपद ‘राजकुमार’ जिसका विग्रह है – राजा का कुमार | इस विग्रह पद में ‘राजा’ पहला पद और ‘कुमार’ (पुत्र) उत्तर पद है |
अब प्रश्न है – कौन बीमार था, राजा या कुमार ?
उत्तर मिलता है – कुमार स्पष्ट है कि उत्तरपद की ही प्रधानता है |
कुछ और उदाहरण देखते है –
राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है |
पॉकेटमार कपड़ा गया |
रामचरितमानस तुलसीकृत है |
अवयव की दृष्टि से तत्पुरुष समास के दो भेद है –
- व्यधिकरण तत्पुरुष
- समानाधिकरण तत्पुरुष
व्यधिकरण तत्पुरुष
वह तत्पुरुष, जिसमे प्रयुक्त पदों में से पहला पद कर्ताकारक का नहीं हो | ‘इस तत्पुरुष को’ केवल तत्पुरुष भी कहा जाता है | इस समास को पहले पद में लगे कारक चिह्नों के नाम पर ही पुकारा जाता है |
‘कर्ता’ और ‘सम्बोधन’ को छोड़कर बाकि सभी कारको से संबंद्ध तत्पुरुष समास बनाए जाते है | इसके निम्नलिखित प्रकार होते है –
- कर्म या द्वितीया तत्पुरुष : इसमें पद के साथ कर्म कारक के चिह्न (को) लगे रहते है| जैसे –
गृहागत = गृह को आगत
पॉकेटमार = पॉकेट को मारनेवाला आदि |
- करण तृतीया तत्पुरुष : इसके पहले पद के साथ करण कारक विभक्ति (से/द्वारा) लगी हो | जैसे –
कष्टसाध्य = कष्ट से साध्य
तुलसीकृत = तुलसी द्वारा कृत आदि |
- सम्प्रदान या चतुर्थी तत्पुरुष : जिसके प्रथम पद के साथ सम्प्रदान कारक के चिह्न (को/के लिए) लगे हों | जैसे –
देशार्पण = देश के लिए अर्पण |
विद्यालय = विद्या के लिए आलय आदि |
- अपादान पंचम तत्पुरुष : जिसका प्रथम पद अपादान के चिह्न युक्त हो |
जैसे – पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट
देशनिकाला = देश से निकाला आदि |
- संबंध तत्पुरुष या षष्ठी तत्पुरुष : जिसके प्रथम पद के साथ अधिकरण के चिन्ह (का, के, की) लगे हो | जैसे –
राजकुमार = राजा का कुमार
पराधीन = पर के अधीन आदि |
- अधिकरण या सप्तमी तत्पुरुष : जिसके पहले पद के साथ अधिकरण के चिह्न (में, पर) लगे हो | जैसे –
कलाप्रवीण = कला में प्रवीण
आपबीती = आप पर बीती आदि |
समानाधिकरण तत्पुरुष
जिस तत्पुरुष के सभी पदों में समान कारक (कर्ता) पाया जाय | इस समास के अंतर्गत निम्नलिखित समास आते है –
- कर्मधारय समास (Appositional) : समानाधिकरण तत्पुरुष का ही दूसरा नाम ‘कर्मधारय’ जिस तत्पुरुष समास के समस्तपद समानाधिकरण हो अर्थात विशेष-विशेषण भाव को प्राप्त हो, कर्ता कारक के हो और लिंग वचन में भी समान हो | दूसरे शब्दो में वह समास जिसमे विशेषण तथा विशेष्य अथवा उपमान तथा उपमेय का मेल हो और विग्रह करने पर दोनों खंडो में एक ही कर्ताकारक विभक्ति रहे |
कर्मधारण समास की निम्नलिखित स्थितियों होती है-
(a) पहला पद विशेषण दूसरा विशेष्य : महान पुरुष = महापुरुष
पक्व अन्न = पकवान्न
(b) दोनों पद विशेषण : श्वेत और रक्त = श्वेतरक्त
भला और बुरा = भलाबुरा
कृष्ण और लोहित = कृष्णलोहित
(c) पहला पद विशेष्य दूसरा विशेषण : श्याम जो सुन्दर है = श्यामसुन्दर
(d) दोनों पद विशेष्य : आम्र जो वृक्ष है = आम्रवृक्ष
(e) पहला पद उपमान : धन की भाँति श्याम = घनश्याम
बज्र के समान कठोर = बज्रकठोर
(f) पहला पद उपमेय : सिंह के समान नर = नरसिंह
(g) उपमान के बाद उपमेय : चन्द्र के समान मुख = चन्द्रमुख
(h) रूपक कर्मधारय : मुखरूपी चन्द्र = मुखचन्द्र
(i) पहला पद कु : कुत्सित पुत्र = कुपुत्र
- नञ तत्पुरुष समास : जिसका पहला पद निषेधवाचक रहे | इसका समस्तपद ‘अ’ या ‘अन’ से शुरू होता है | जैसे –
न ज्ञान = अज्ञान
न अवसर = अनवसर
न अधिकार = अनधिकार आदि |
- द्विगु समास (Numeral Compound) : इस समास को संख्यापूर्णपद कर्मधारय कहा जाता है | इसका पहला पद संख्यावाची और दूसरा पद संज्ञा होता है | इसके भी दो भेद होते है-
(a) समाहार द्विगु : समाहार का अर्थ है- समुदाय, इकट्ठा होना या समेटना | जैसे
पंचवटी = पाँच वटों का समाहार
चौराहा = चार राहों का समाहार
(b) उत्तरपद प्रधान द्विगु : इसका दूसरा पद प्रधान रहता है और पहला पद संख्यावाची | इसमें समाहार नहीं जोड़ा जाता जैसे-
पंचप्रमाण = पाँच प्रमाण
नोट : यदि दोनों पद संख्यावाची हों तो कर्मधारय समास हो जायेगा | जैसे –
छतीस = छः और तीस इकतीस = एक और तीस
चौतीस = चार और तीस चौबीस = चार और बीस
- मध्यमपदलोपी समास : इसमें बीच के पदों का लोप हो जाया करता है | पहला और अंतिम पद जुड़कर समस्तपद का निर्माण करता है |
जैसे – छाया प्रद (लोप) तरु = छायातरू
गोबर से निर्मित (लोप) गणेश = गोबरगणेश
- प्रादि तत्पुरुष : इस समास में ‘प्र’ आदि उपसर्गों तथा दूसरे शब्दों का समास होता है | ‘प्र’ उन्हीं के रूप से दूसरे शब्द भी जुड़े रहते है ; परन्तु समास करने पर वे लुप्त हो जाते है | जैसे –
प्रकृष्ट आचार्य = प्राचार्य
- उपपद तत्पुरुष : जिस समास का अंतिम पद ऐसा कृदन्त होता है, जिसका स्वतंत्र रूप में (कृदन्त के रूप में) प्रयोग नहीं होता | जैसे –
कुम्भ को करनेवाला = कुंभकार
जल में जनमनेवाला = जलभ|
इन उदाहरणों में ‘कार’ और ‘ज’ दोनों अप्रचलित कृदन्त हैं |
- अलुक तत्पुरुष : जिस तत्पुरुष के पहले पद की विभक्ति (कारक-चिह्न) का लोप न होकर उसी में तिरोहित हो जाती है | जैसे –
युद्ध में स्थिर रहनेवाला = युधिष्ठिर
इस उदाहरण में – युद्ध में की जगह पर ‘युधि’ हो गया है यानी ‘में’ चिह्न मिल गया है |
इसी तरह – चूहे को मरनेवाला = चूहेमार |
- मयूरव्यंसकादि तत्पुरुष : इसके समस्तपद का विग्रह करने पर अंतिम पद पहले आ जाता है |
जैसे –
देशान्तर = भिन्न देश
विषयान्तर = अन्य विषय
एकमात्र = केवल एक
नोट : मध्यमपदलोपी, प्रादि, उपपद, अलुक और मयूरव्यंसकादि का अस्तित्व संस्कृत में है हिंदी में ऐसे उदाहरण बहुत ही काम है |
तत्पुरुष समास का 50 उदाहरण
समस्तपद | विग्रह | समस्तपद | विग्रह |
---|---|---|---|
यशोदा | यश को देनेवाली | आशातीत | जिसकी आशा की जाती है |
इन्द्रियातीत | जहाॅ तक इन्द्रियें की पहुॅच नहीं है | कष्टसहिष्णु | कष्ट को सह लेनेवाला |
वचनातीत | जो कहा नहीं जा सकता | वर्णनातीत | जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता |
संकटापन्न | संकट को आपन्न (प्राप्त) | शोकदग्ध | शोक से दग्ध (जला) |
कालिदासकृत | कालिदास द्वारा कृत | ज्ञानयुक्त | ज्ञान से युक्त |
मनमाना | मन से माना | गुरूदन्त | गुरू से दन्त |
गुणयुक्त | गुण से युक्त | सूरकृत | सूर द्वारा कृत |
पॉकेटमार | पॉकेट (को) मारनेवाला | गृहागत | गृह को आगत |
गिरहकट | गिरह (को) काटनेवाला | स्वर्गप्राप्त | स्वर्ग को प्राप्त |
दुःखापन्न | दुःख (को) आपन्न | शरणागत | शरण को आगत |
गठकटा | गांठ को काटनेवाला | संगीतज्ञ | संगीत को जाननेवाला |
मनोहर | मन को हरनेवाला | सर्वभक्षी | सबको भक्षण करनेवाला |
त्रिगुणातीत | जो तीनों से परे हो | स्थानापन्न | स्थान को आपन्न |
अनलदग्ध | अनल से दग्ध | कंटकाकीर्ण | कांटों से भरा |
क्षुधातुर | क्षुधा से आतुर | मनः पूत | मन से पूत (पवित्र) |
रक्तारक्त | रक्त से आरक्त | विचारगभ्य | जहां तक विचार जा सकता है |
प्रकृतिप्रदन्त | प्रकृति द्वारा प्रदन्त | शिरोधार्य | जो सिर से धारण करने योग्य हो |
अंधकारयुक्त | अंधकार से युक्त | कलंकयुक्त | कलंक से युक्त |
वागदन्त | वाक से दन्त | आतपजीवी | आतप (धूप) से जीनेवाला |
कामचोर | काम से चोर | जलसिक्त | जल से सिक्त |
देहचोर | देह से चोर | नियमाबद्ध | नियम से आबद्ध |
प्रेमसिक्त | प्रेम से सिक्त | मदान्ध | मद से अन्ध |
मुँहचोर | मुँह से चोर | रोगग्रस्त | रोग से ग्रस्त |
मेघाछन्न | मेघ से आच्छन्न (घिरा) | दुःखसंतप्त | दुःख से संतप्त |
शोकार्त | शोक से आर्त | आचारपूत | आचार से पूत |
कष्टसाध्य | कष्ट से साध्य | तर्कसंगत | तर्क से संगत |
रक्तरंजित | रक्त से रंगा | विद्धिप्रदंत | विधि द्वारा प्रदन्त |
मुँहमाँगा | मुँह से माँगा | मनचाहा | मन से चाहा |
ज्ञानयुक्त | ज्ञान से युक्त | रेखांकित | रेखा से अंकित |
कपड़छन | कपड़े से छना | गुणहीन | गुण से हीन |
गुणयुक्त | गुण से युक्त | हस्तलिखित | हस्त से लिखित |
देवदन्त | देव द्वारा दन्त | अकालपीडित | अकाल से पीड़ित |
करुणापूर्ण | करुणा से पूर्ण | जलावृत्त | जल से आवृत |
तुलसीकृत | तुलसी द्वारा कृत | धर्माध | धर्म से अन्धा |
पददलित | पद से दलित | फलाविष्टत | फल से आवेष्टित |
मदमाता | मद से माता | रसभरा | रस से भरा |
शोकाकुल | शोक से आकुल | दुःखार्त | दुःख से आर्त |
श्रमजीवी | श्रम से जीनेवाला | शोवापर्ण | शिव के लिए अर्पण |
समाभवन | सभा के लिए भवन | मार्गव्यय | मार्ग के लिए व्यय |
मालगोदाम | माल के लिए गोदाम | साधुदक्षिणा | साधु के लिए दक्षिणा |
पुत्रशोक | पुत्र के लिए शोक | राहखर्च | राह के लिए खर्च |
देवालय | देव के लिए आलय | लोकसभा | लोक के लिए सभा |
धर्मशाला | धर्म के लिए शाला | फलाकांक्षी | फल के लिए आकांक्षी |
विद्यालय | विद्या के लिए आलय | मंत्रालय | मंत्रणा के लिए आलय |
युद्धभूमि | युद्ध के लिए भूमि | हथकड़ी | हाथ के लिए कड़ी |
प्रयोगशाला | प्रयोग के लिए शाला | स्नानागार | स्नान के लिए आगार |
सचिवालय | सचिवों के लिए आलय | मदिरालय | मदिरा के लिए आलय |
रसोईघर | रसोई के लिए घर | स्नानघर | स्नान के लिए घर |
डाकमहसूल | डाक के महसूल | देशभक्ति | देश के लिए भक्ति |
ब्राह्म्णदेय | ब्राह्मण के लिए देय | गोशाला | गो के लिए शाला |
विधानसभा | विधान के लिए सभा | देवबलि | देव के लिए बलि |
न्यायालय | न्याय के लिए आलय | शिवालय | शिव के लिए आलय |
चिकित्सालय | चिकित्सा के लिए आलय | सत्याग्रह | सत्य के लिए आग्रह |
हथघड़ी | हाथ के लिए घड़ी | शयनागार | शयन के लिए आगर |
भिक्षाटन | भक्षा के लिए अटन (भ्रमण) | पुस्तकालय | पुस्तक के लिए आलय |
आकाशवृत्ति | आकाश से प्राप्त वृत्ति | कर्तव्यच्युत | कर्तव्य से च्युत |
विक्रमपूर्ण | विक्रम से पूर्ण | धनहीन | धन से हीन |
जातिच्युत | जाति से च्युत | ईसापूर्व | ईसा से पूर्ण |
देशनिकाला | देश से निकाला | अन्नहीन | अन्न से हीन |
क्रियाहीन | क्रिया से हीन | जलजात | जल से जात |
धर्मविमुख | धर्म से विमुख | ईसापूर्ण | ईसा से पूर्ण |
पथभ्रष्ट | पथ से भ्र्ष्ट | आशातीत | आशा से परे |
ऋणमुक्त | ऋण से मुक्त | जलरिक्त | जल से रिक्त |
दयाहीन | दया से हीन | नेत्रहीन | नेत्र से हीन |
पापमुक्त | पाप से मुक्त | मरणोत्तर | मरण से उत्तर |
रसहीन | रस से हीन | व्ययमुक्त | व्यय से मुक्त |
बलहीन | बल से हीन | मायारिक्त | माया से रिक्त |
श्रमरहित | श्रम से रहित | अन्नदान | अन्न का दान |
वीरकन्या | वीर की कन्या | राजभवन | राजा का भवन |
आनंदाश्रम | आनंद का आश्रम | रामायण | राम का अयन |
गंगाजल | गंगा का जल | कृष्णोपासक | कृष्ण का उपासक |
सूर्योदय | सूर्य का उदय | चरित्रचित्रण | चरित्र का चित्रण |
अमरस | आम का रस | सभापति | सभा का पति |
गुरुसेवा | गुरु की सेवा | सेनापति | सेना का पति |
मृगछौना | मृग का छौना | राजकमल | राजा का कमल |
राजकुमारी | राजा की कुमारी | राष्ट्रपति | राष्ट्र का पति |
अमृतपात्र | अमृत का पात्र | उल्कापात | उल्का का पात |
कन्यादान | कन्या का दान | त्रिपुरारि | त्रिपुर का अरि |
प्रेमोपासक | प्रेम का उपासक | देशसेवा | देश की सेवा |
राजगृह | राजा का गृह | विद्यासागर | विद्या का सागर |
सेनानायक | सेना का नायक | ग्रामोद्धार | ग्राम का द्वार |
राजपुत्र | राजा का पुत्र | हिमालय | हिम का आलय |
आनंदमठ | आनंद का मठ | औषधालय | औषध का आलय |
खलनायक | खलो का नायक | जलाशय | जल का आशय |
फलाहार | फल का आहार | बालुकाराशि | बालू का राशि |
रत्नागार | रत्नो का आगार | विद्यार्थी | विद्या का अर्थी |
विद्याभ्यास | विद्या का अभ्यास | शांतिदूत | शांति का दूत |
सेनाध्यक्ष | सेना का अध्यक्ष | यमुनातट | यमुना का तट |
आत्महत्या | आत्मा की हत्या | भारतवासी | भारत का वासी |
दिनचर्या | दिन की चर्या | कुलदीप | कुल का दीप |
भ्रातृस्नेह | भ्राता का स्नेह | परनिन्दा | पर का निंदा |
राजनीतिज्ञ | राजनीति का ज्ञाता | सुखसागर | सुख का सागर |
कविकुल गुरु | कविकुल के गुरु | कार्यकर्ता | कार्य का कर्ता |
जलयान | जल का यान | दावानल | दाव का अनल |
नगरपालिका | नगर की पालिका | पंडितराज | पंडितों का राज |
भविष्यवक्ता | भविष्य का वक्ता | मातृहन्ता | माता की हत्या करने वाला |
गणेश | गणों का ईश | जननायक | जनो का नायक |
प्रेमोपहार | प्रेम का उपहार | भूदान | भू का दान |
व्यायामशाला | व्यायाम की शाला | धर्मार्थी | धर्म का अर्थी |
धूड़दोड़ | घोड़ो की दौड़ | कनकघट | कनक का घट (पड़ा) |
भारतरत्न | भारत का रत्न | यदुवंश | यदु का वंश |
वनमाली | वन का माली | तरणितनुजा | तरणि की तनुजा |
देवकन्या | देव की कन्या | नगरसेठ | नगर का सेठ |
वनमानुष | वन का मानुष | प्रेमसागर | प्रेम का सागर |
जठरानल | जठर (पेट) का अनल | देशाटन | देश का अटन |
पुत्रवधू | पुत्र की वधू | युगनिर्माता | युग का निर्माता |
सर्वदमन | सबका दमन करनेवाला | सिंहशावक | सिंह का शावक |
हस्तलाघव | हाथ की सफाई | सन्देहास्पद | सन्देह का स्थान |
अरण्यरोदन | अरण्य (जंगल) में रोदन | नरश्रेष्ट | नरों में श्रेष्ट |
किंकत्तर्व्य विमूढ़ | क्या करना चाहिए इस विचार में अक्षर | विषयासक्त सर्वसाधारण | जो सबमें साधारण रूप से पाया जाता है |
पुरुषसिंह | पुरुषों में सिंह | शास्त्रप्रवीण | शास्त्रों प्रवीण |
क्षत्रियाधम | क्षत्रियों का अधम | हरफनमौला | हर फन (कला) में मौला |
कविश्रेष्ठ | कवियों में श्रेष्ट | ध्यानमग्न | ध्यान में मग्न |
गृहप्रवेश | गृह में प्रवेश | सर्वोत्तम | सबों में उत्तम |
रणशूर | रण में शूर | घुड़सवार | घोड़े पर सवार |
रणधीर | रण में धीर | जलमग्न | जल में मग्न |
कलाप्रवीण | कला में प्रवीण | जगबीती | जग पर बीती |
कार्यकुशल | कार्य में कुशल | क्षणभंगुर | क्षण में नष्ट होनेवाला |
पुरुषोत्तम | पुरुषो में उत्तम | रणमन्त | रण में मन्त (मतवाला) |
ग्रामवास | ग्राम में वास | आत्मनिर्भर | आत्म पर निर्भर |
शरणागत | शरण में आगत | मुनिश्रेष्ठ | मुनियो में श्रेष्ठ |
दानवीर | दान का वीर | नीतिनिपुण | नीति में निपुण |
निशाचर | निशा में चरनेवाला | आपबीती | आप पर बीती |
फ्लासक्त | फल में आसक्त |
- समास
- अपठित गद्यांश या पद्यांश
- संधि एवं संधि विच्छेद
- अलंकार और उसके प्रकार
- विलोम शब्द
- पर्यायवाची शब्द
- मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ
- हिंदी मात्राएँ
- हिंदी वर्णमाला