OPD की फुल फॉर्म, अस्पताल में OPD का मतलब क्या होता है? अक्सर जब भी हम अस्पताल जाते हैं, तो एक चीज़ वह लगे हुए बोर्ड में हम ज़रूर पढ़ते हैं, और वह है ओपीडी| लेकिंन हम में से बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो इसका मतलब नहीं जानते| तो आईये आज हम इस पोस्ट के माध्यम से इसी बात पर चर्चा करते हैं की ओपीडी का फुल फॉर्म क्या है? और इसका मतलब क्या है|
ओपीडी एक अस्पताल विभाग है जिसे रोगी और अस्पताल के कर्मचारियों के बीच पहला संपर्क बिंदु होने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एक मरीज जो पहली बार अस्पताल जाता है, वह सीधे ओपीडी में जाता है, और फिर ओपीडी तय करती है कि मरीज को किस विभाग में जाना चाहिए।
OPD की फुल फॉर्म क्या है?
OPD का फुल फॉर्म (Out Patient Department) आउट पेशेंट डिपार्टमेंट होता है।
आम तौर पर किसी भी अस्पताल के भूतल पर एक ओपीडी का निर्माण किया जाता है और इसे न्यूरोलॉजी विभाग, हड्डी रोग विभाग, स्त्री रोग विभाग, सामान्य चिकित्सा विभाग आदि जैसे कई भागों में विभाजित किया जाता है। यहां रोगी सभी औपचारिकताएं पूरी करता है और फिर संबंधित विभाग में जाता है।
मरीजों को दो भागों में बांटा गया है, और वह है – आउट पेशेंट और इनपेशेंट| आइये जानते हैं इन दोनों के अंतर को –
आउट पेशेंट: एक आउट पेशेंट वह मरीज होता है जो 24 घंटे या उससे अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती नहीं रहता है, लेकिन इलाज या निदान के लिए अस्पताल या क्लिनिक जाता है।
इनपेशेंट: एक इनपेशेंट वह मरीज होता है जो रात भर, कई दिनों या सप्ताह के लिए अस्पताल में भर्ती रहता है।
जैसा कि आप अक्सर देख सकते हैं कि हर अस्पताल में ग्राउंड फ्लोर पर ओपीडी विभाग बना होता है, जिससे मरीजों को ओपीडी तक पहुँचने में ज़्यादा तकलीफ न हो, और वे आसानी से ओपीडी तक पहुँच जाएं|
इसके लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि एक ओपीडी कर्मचारी अत्यधिक कुशल हो, क्योंकि यह विभाग अस्पताल के कार्यों के दर्पण के रूप में कार्य करता है। यही विभाग होता है, जो एक मरीज की स्थिति को जांच परख के बताता है, की उसे किस विभाग में जाकर इलाज करवाना चाहिए|
एक अस्पताल में ओपीडी कितना जरूरी है?
ओपीडी मरीजों के लिए काफी अहम और मददगार साबित होती है। ओपीडी में यह फैसला मरीज के आने के बाद ही लिया जाता है की मरीज की हालत कैसी है, और मरीज को किस विभाग में भेजना सही रहेगा|
उसकी हालत को पूर्ण रूप से जांचने के बाद ही यह फैसला लिया जाता है की वह आउट पेशेंट की तरह ही जांच करने आएगा, या मरीज को भर्ती करना पड़ेगा| अगर हालत ज़्यादा गंभीर होती है तो उसे भर्ती करना पड़ता है, या ओपीडी के इलाज के बाद ही मरीज को घर जाने दिया जाता है।
किसी भी अस्पताल में कितने मरीजों का इलाज किया जा सकता है, इसकी एक सीमा होती है। ओपीडी वहां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि कई रोगी ऐसे होते हैं जिनकी स्थिति बहुत गंभीर नहीं होती है, तो वे ओपीडी से इलाज के बाद घर जा सकते हैं। देखा जाए तो ओपीडी एक वैकल्पिक पर्सनल थेरेपी की तरह है, जो अस्पताल के माहौल में साफ-सफाई लाती है|
तो यह थी जानकारियां ओपीडी के बारे में| सभी अस्पतालों में अलग-अलग आउट पेशेंट विभाग नहीं होते हैं, इसलिए आउट पेशेंट का इलाज एक ही विभाग में होता है, जैसे उन मरीजों का होता है जो रात भर अस्पताल में रुकते हैं|
हम उम्मीद करते हैं ऊपर उपलब्ध कराई गयी जानकारियां आपके लिए मददगार साबित होंगी| यदि आपका कोई प्रश्न हो तो आप कमेंट बॉक्स के द्वारा पूछ सकते हैं|
OPD से जुड़े कुछ प्रश्न
1. अस्पताल में ओपीडी का क्या मतलब है?
उत्तर : ओपीडी का मतलब बाह्य रोगी विभाग (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) है। इसमें मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह वह है जिसके लिए एक विशिष्ट उपचार का लाभ उठाने के लिए डॉक्टर के कक्ष या क्लिनिक में सामान्य चिकित्सक द्वारा जांच की आवश्यकता होती है। उपचार चिकित्सक द्वारा अपने क्लिनिक में किया जा सकता है| |
2. बाह्य रोगी विभाग का क्या कार्य है?
उत्तर : एक आउट पेशेंट विभाग या आउट पेशेंट क्लिनिक आउट पेशेंट के इलाज के लिए डिज़ाइन किए गए अस्पताल का हिस्सा है, स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोग जो निदान या उपचार के लिए अस्पताल जाते हैं, लेकिन उन्हें भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है| |
3. ओपीडी का उद्देश्य क्या है?
उत्तर : ओपीडी का उद्देश्य
|
4. ओपीडी में कौन जाता है?
उत्तर : ओपीडी पहला संपर्क बिंदु है। एक मरीज जो पहली बार अस्पताल जाता है, वह सीधे ओपीडी में जाता है और फिर ओपीडी तय करती है कि मरीज को किस विभाग में जाना चाहिए| |